रत्नों का गोरखधंधा -
- आचार्य डा. अभिलाषा सिन्हा।
- Jul 12, 2017
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मनुष्य की सहज प्रकृति है कि वह हमेशा सुख में जीना चाहता है परंतु विधि के विधान के अनुसार धरती पर ईश्वर भी जन्म लेकर आता हे तो ग्रहों की चाल के अनुसार उसे भी सुख दु:ख सहना पड़ता है.हम अपने जीवन में आने वाले दु:खों को कम करने अथवा उनसे बचने हेतु उपाय चाहते हैं.उपाय के तौर पर अपनी कुण्डली की जांच करवाते हैं और ज्योतिषशात्री की सलाह से पूजा करवाते हैं,ग्रह शांति करवाते हैं अथवा रत्न धारण करते हैं.रत्न पहनने के बाद कई बार परेशानियां आती जाती हैं अथवा कोई लाभ नहीं मिल पाता है.इस स्थिति में ज्योतिषशास्त्री के ऊपर विश्वास डोलने लगता है.जबकि हो सकता है कि आपका रत्न सही नहीं हो.वास्तव में रत्न खरीदते समय काफी समझदारी से काम लेना चाहिए क्योंकि असली और नकली रत्नों में काफी समानता रहती है जिससे गोरख धंधा के आप शिकार हो सकते हैं. प्राचीन काल से रोगों के उपचार हेतु रत्नों का प्रयोग विभिन्न रूपों में किया जाता रहा है.रत्नों में चुम्बकीय शक्ति होती है जिससे वह ग्रहों की रश्मियों एवं उर्जा को अवशोषित कर लेती है . जिस ग्रह विशेष का रत्न धारण करते हैं उस ग्रह की पीड़ा से बचाव होता है और सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है.रत्न चिकित्सा का यही आधार है. रत्नों की खरीद: रत्न अपरिचित स्थान से नहीं खरीदना चाहिए.रत्न खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति विश्वसनीय एवं रत्नों का जानकर हो.रत्न खरीदने से पहले बाज़ार भाव का पता कर लेना इससे रत्न की सत्यता और मूल्य का वास्तविक अनुमान भी मिल जाता है.रत्न अगर टूटा हुआ हो अथवा उसमें दाग़ धब्बा हो तो कभी नहीं खरीदना चाहिए.इन रत्नों का प्रभाव कम होता है और कुछ स्थितियों में प्रतिकूल परिणाम भी देता है. रत्नों के रंग: रत्नों को खरीदते समय उनके रंगों पर भी ध्यान देना चाहिए.सम्पूर्ण रत्न का रंग एक होना चाहिए.फीका और मंद रंग वाले रत्न की अपेक्षा झलकदार और आभायुक्त रत्न अधिक गुणवत्ता वाले और मूल्यवान होंते हैं. इसका तात्पर्य यह नही है कि रत्न का रंग बहुत अधिक गहरा होना चाहिए.अत्यधिक गहरा रंग भी रत्नों की गुणवत्ता को कम करते हैं.रंगों से भी असली और नकली रत्नों की पहचान होती है जिसकी जांच स्पेक्ट्रोमस्कोप द्वारा की जाती है. रत्न में पारदर्शिता: पारदर्शिता रत्नों की खास विशेषता है.जो रत्न जितना पारदर्शी होता है उतना ही उच्च स्तर का माना जाता है और उसी के अनुरूप उसकी कीमत भी होती है.अपवाद के रूप में मूंगा ऐसा रत्न है जो अपारदर्शी होते हुए भी मूल्यवान होता है.रत्नों की पारदर्शिता में अंतर प्राप्ति स्थान के आधार पर होता है.अलग अलग स्थान से प्राप्त रत्नों में झीरम की मात्रा में अंतर के आधार पर पारदर्शिता में विभेद होता है. अतः इन बातों को धायण में रखके रत्नो के चयन एवं खरीद के समय सावधानी से काम लें ताकि आपके पैसों का सदुपयोग हो और आप उक्त रत्न का समुचित लाभ उठा सकें .
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